राजनीति पर शायरी | Political shayari in hindi

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Political shayari in hindi

तबाह कर दिया अहबाब को सियासत ने
मगर मकान से झंडा नहीं उतरता है
शकील जमाली

Tabaah kar diya ehbaab ko siyasat ne
magar makaan se jhanda nahi utarta
shakil jamaali

कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर

क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या

सागर ख़य्यामी

यह देश बिगड़ चूका है
अनेक अनजान दिक्कतों से गुजर चूका है
क्या कोई जगायेगा यहाँ के लोगो को
क्या कोई उठाएगा समाज के रोगो को

kitne chehre lage hai chehre par
kya hakikat hai aur siyasat kya
sagar khhayami

जाने कब इस में हमें आग लगानी पड़ जाए
हम सियासत के जनाज़े को चिता कहते हैं
ख़ालिद इरफ़ान

jaane kab is me hame aag lagaani pad jaaye
ham siyasat ke janaaze ko chita kehta hai
khaalid irfaan

सरकारों को गरीबों का ख्याल कहाँ आता है?
चुनाव नजदीक आ जाए तो मुद्दा उछाला जाता है.

sarkaro ko garibo ka khayal kahan aata hai
chunav najdik aa jaaye to mudda uchala jata hai

लोहे को औजार बनाने वाले,

आँसू को हथियार बनाने वाले,

हमको बेकार समझते हैं नेता हमारे

हम है इस मुल्क की सरकार बनाने वाले

कहां तो यह तय था चिराग़ां हर एक घर के लिए
कहां चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए
दुष्यंत कुमार

kahaan toh yah tay tha chiangaa har ek ghar ke liye
kahan chiraag mayassar nahi shehar ke liye
Dushyant Kumar

यहां तो सिर्फ गूंगे और बहरे लोग बसते हैं
ख़ुदा जाने यहां पर किस तरह का जलसा हुआ होगा
दुष्यंत कुमार

फर्क बहुत है तेरी और मेरी तालीम में… तूने उस्तादों से सीखा है और मैंने हालातों से..

कच्चे मकान जिनके जले थे फ़साद में
अफ़सोस उनका नाम ही बलवाइयों में था
नईम जज़्बी

kacche makaan jinke jale the fasaad me
afsos unka naam hi balwaiyon me tha
naim jazzbi

राजनीति शायरी

जहाँ सच हैं, वहाँ पर मै खड़े हूँ
इसी खातिर सरकार की नजर में गड़ा हु

jahan sach hai wahan par mai khade hu
issi khati sarkar ki najar me gada hu

लोकतंत्र कभी असली रंग में आना

नेताओं की औकात को कभी तुम दिखलाना

loktantra kabhi tum asli rang me aana
netao ki aukaat ko kabhi tum dikhana

ये जो हालत हैं ये सुधर जायेंगे,
पर नेता लोग निगाहों से उतर जायेंगे

कोई तो अच्छे दिन बोल के आया था
जनता ने उसका साथ निभाया था
खुद को खुदा समझ बैठे वह
पकौड़ा तलना उसने सुझाया था

political sher o shayari in hindi

ye jo haalat hai ye sudhar jayenge
par neta log nigaaho se utar jayenge

नेता की बातों में सच्चाई का अभाव है,
झूठ बोलना इनका वास्तविक स्वभाव हैं.

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neta ki baato me sacchai ka abhaav hai
jhut bolna inka wastvik swabhav hai

जंग में कत़्ल सिपाही होंगे
सुर्खरु ज़िल्ले इलाही होंगे
मौज रामपुरी

jung me katl sipaahi honge
sukhrau jime ilaahi honge
mauz raampuri

शायद मुझे निकाल कर पछता रहे हैं आप
महफ़िल में इस ख़्याल से फिर आ गया हूं मैं
अदम

ऐ क़ाफ़िले वालों, तुम इतना भी नहीं समझे
लूटा है तुम्हे रहज़न ने, रहबर के इशारे पर
तरन्नुम कानपुरी

ae kaafile walo tum itna bhi nahi samjhe
luta hai tumhe rehjan ne ,rahbar ke ishaare par
tarannum kaanpuri

जिसके किरदार पे शैतान भी शर्मिंदा है
वो भी आये हैं यहां करने नसीहत हमको
माजिद देवबंदी

is baras hamne jamino me dhuan boya hai
fal nahi ayenge ab shaakho pe hum ayenge
raahat indori

ये झूठी तदबीर कहां तक जाएगी
सरहद पर कश्मीर कहां तक जाएगी
अबकी पांच बरस में फिरसे देखेंगे
मंदिर की तामीर कहां तक जाएगी

कैसी है ये ज़िम्मेदारी सांई की
जनती जान गयी मक्कारी सांई की
देश को लूटने वाले लूट के ले जाएं
मान गये हम चौकीदारी सांई की

जंग है तो जंग का मंज़र भी होना चाहिए
सिर्फ नेज़े हाथ में हैं सर भी होना चाहिए


रहदों पर बहोत तनाव है क्या
कुछ पता तो करो चुनाव है क्या

अमीर लोग भी राहत से मिलने जुलने लगे
वो अब शराब का आशिक नही है चाय का है

Siyasat shayari

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा कर के

हवा खुद अब के हवा के खिलाफ है, जानी
दिए जलाओ के मैदान साफ़ है, जानी

हुकूमत से एजाज़ अगर चाहते हो

अंधेरा है लेकिन लिखो रोशनी है

अशरफ़ मालवी

hukumat se ejaaz agar chahte ho
andhera hai lekin likho roshani hai
ashraf maalvi

सिर्फ बाक़ी रह गया बेलौस रिश्तों का फ़रेब
कुछ मुनाफिक हम हुए, कुछ तुम सियासी हो गए
निश्तर ख़ानकाही

rahat indori political shayari in hindi

इस बरस हमने ज़मीनों में धुंआ बोया है
फल नहीं आएंगे अब, शाख़ों पे बम आएंगे
राहत इंदौरी

Political shero shayari in hindi

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे
रौशनी ख़त्म न कर आगे अंधेरा होगा
निदा फ़ाज़ली

itna sach bol ki hotho ka tabassum na bujhe
raushan khatm naa kar aage andhera hoga
nida faazli

सरों पर ताज रक्खे थे क़दम पर तख़्त रक्खा था
वो कैसा वक़्त था मुट्ठी में सारा वक़्त रक्खा था
ख़ुर्शीद अकबर

सितम की इंतिहा पर चल रही है
ये दुनिया किस ख़ुदा पर चल रही है
खुर्शीद अकबर

sitam ki intehaa par chal rahi hai
ye duniya kis khuda par chal rahi hai
khurshid akbar

हमें तो अहल-ए-सियासत ने ये बताया है
किसी का तीर किसी की कमान में रखना
महबूब ज़फ़र

ख़ुद-कुशी करती है आपस की सियासत कैसे
हम ने ये फ़िल्म नई ख़ूब इधर देखी है
गोपालदास नीरज

जिस को अब भी हो सियासत पे यक़ीन
उस को ये मुल्क दिखाया जाए
रजनीश सचन

indian politics shayari in hindi

jis ko ab bhi ho siyasat ye yakeen
us ko ye mulk dikhaya jaaye
rajnish sachan

yuva Neta Shayari in hindi

उस को मज़हब कहो या सियासत कहो
ख़ुद-कुशी का हुनर तुम सिखा तो चले
कैफ़ी आज़मी

घरों पर नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
बशीर बद्र

युवा नेता शायरी

gharo par naam the naamo ke saath ohde the
bahut talaash kiya koi aadmi naa mila
bashir badr

तुम से पहले वह जो एक शख़्स?? जिसका यहाँ तख़्त था

वह भी खुदा ⏰मानता था अपने को ,उसका भी कोई ??भक्त था

tum se pehale wah jo ek saksh jiska jahan takht tha
wah bhi khuda maanta tha,apne ko uska bhi koi bhat tha

विश्व में पहचान बनानी हैं
खोई प्रतिष्ठा फिर से पानी हैं,
मत फसना झूठे वादों में
अबकी बार फिर सरकार की लानी हैं.

Shiyasat shayari in hindi

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मोदी जी कुछ तो अब कर दिख लाएंगे
कुछ दिए हम जलाते है कुछ राम जी दिखाएंगे

अमीरो की कोठियो को झुंगी में बदल दिखलायेंगे
खून बहा पसीना बन कर उनका हक़ हम दिलवाएंगे

धूल चाट रहा वो धन अमीरो की तिजोरियों में
उस धन को वो सही हक़दार तक पहुचाएंगे

जो नैतिकता का वध कर दे, वह राजपुरूष नाकारा हैं,
जिस धरती पर किसान मरे उसका शासक हत्यारा हैं..

सियासत को लहू पीने की लत है,
वरना इस देश में सब खैरियत है.

रहनुमाओं की वादों पे फ़िदा है दुनिया
इस मासूम हुई दुनिया को सँभालो यारो.

युद्धों में कभी नहीं हारे , हम डरते है उन ना गवार बन्दों से
हर बार पराजय पाई है , लोगो ने अपने घर के जयचंदो से

Indian politics shayari in hindi

खूब करो तुम , कोशिश हमें मिट्टी में मिलाने की,
..शायद तुम्हे नहीं मालूम, कि ‘‘हम बीज हैं”
आदत है हमारी बार-बार उग जाने की.

दोस्ती हो या दुश्मनी सलामी दूर से अच्छी लगती हैं,
राजनीति में कोई नही सगा, ये बात सच्ची लगती हैं.

नजर वाले को हिन्दू और मुसलमान दिखता हैं,
मैं अन्धा हूँ , मुझे तो हर इंसान में इंसान दिखता हैं.

अब कोई और न धोखा देगा, इतनी उम्मीद तो वापस कर दे.
हम से हर ख़्वाब छीनने वाले,हमारी नींद तो वापस कर दे..

ये जो हालत हैं ये सब तो सुधर जायेंगे,
पर कई बड़े लोग निगाहों से उतर जायेंगे…

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