उर्दू के सारे समय के महान शायरों में शुमार मीर तकी मीर थे. मीर को शायरी (meer taqi meer shayari in hindi , मीर तकी मीर शायरी ) का ख़ुदा कहा जाता है.इस पोस्ट में पाठको के लिए मीर की बेस्ट शायरी -meer taqi meer shayari in hindi प्रस्तुत की जा रही है .Shayaris of meer taqi meer in english also is presented in post.
मीर मुहम्मद तकी मीर (फरवरी 1723 – 21 सितंबर 1810) जिसे Mir Taqi Mir मीर तकी मीर या Meer taqi Meer के नाम से भी जाना जाता है 18 वीं सदी के मुगल भारत के एक उर्दू कवि थे
mir taqi mir shayari
रोते फिरते है सारी सारी रात
अब यही रोजगार है अपना
phuul gul shams o qamar saare hi the
par hamen un men tumhin bhaae bahut
paimana kahe hai koi mai-khana kahe hai
duniya tiri ankhon ko bhi kya kya na kahe hai
पैमाना कहे है कोई मयखाना कहे है
दुनिये तेरी आँखों को भी क्या क्या ना कहे है
sirhane ‘mir’ ke koi na bolo
abhi Tuk rote rote so gaya hai
सिरहाने मीर के कोई ना बोलो
अभी तक रोते रोते सो गया है
dikhai diye yuun ki be-khud kiya
hamen aap se bhi juda kar chale
दिखाई दिए यूँ की बेखुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले
rote phirte hain saari saari raat
ab yahi rozgar hai apna
‘mir’ sahab tum farishta ho to ho
aadmi hona to mushkil hai miyan
mir taqi mir 2 line shayari in hindi
मीर साहब तुम फरिश्ता हो तो हो
आदमी होना मुश्किल है मियाँ
vasl men rang ud gaya mera
kya judai ko munh dikhaunga
kya kahun tum se main ki kya hai ishq
jaan ka rog hai bala hai ishq
क्या कहु की तुमसे मै की क्या है इश्क़
जान का रोग है बाला है इश्क़
अब कर के फरामोश तो नौशाद करोगे
पर हम जो न होंगे तो बहुत याद करोगे
dilli men aaj bhiik bhi milti nahin unhen
tha kal talak dimagh jinhen taj-o-takht ka
दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें
था कल तलाक दिमाग जिन्हे ताजो तख़्त का
mir shayari
amir-zadon se dilli ke mil na ta-maqdur
ki ham faqir hue hain inhin ki daulat se
बेखुदी ले गयी कहाँ हमको
देर से इंतज़ार है अपना