किसान पर शायरी | Farmers Shayari

Farmer Shayari

मत मारो गोलियों से मुझे मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँ,
मेरी मौत कि वजह यही हैं कि मैं पेशे से एक किसान हूँ !

Farmers Shayari Kisan Status  किसान पर शायरी

चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें
चूल्हे पे क्या उसूल पकाएंगे शाम को
-अदम गोंडवी

Best Shayri on Farmer Protest

खेत अभी भी बंजर हैं
नैनों में था रास्ता, हृदय में था गांव
हुई न पूरी यात्रा, छलनी हो गए पांव
-निदा फ़ाज़ली

एक बार आकर देख कैसा, ह्रदय विदारक मंजर हैं,
पसलियों से लग गयी हैं आंतें, खेत अभी भी बंजर हैं

Farmers Shayari Kisan Status  किसान पर शायरी

ख़ोल चेहरों पे चढ़ाने नहीं आते हमको
गांव के लोग हैं हम शहर में कम आते हैं
-बेदिल हैदरी

Kisan Status In hindi

जो मेरे गांव के खेतों में भूख उगने लगी
मेरे किसानों ने शहरों में नौकरी कर ली
-आरिफ़ शफ़ीक़

धान के खेतों का सब सोना किस ने चुराया कौन कहे
बे-मौसम बे-फ़स्ल अभी तक इस इज़हार की धरती है

हकीम मंज़ूर

Farmers Shayari Quotes and Status

सुना है उसने खरीद लिया है करोड़ों का घर शहर में
मगर आंगन दिखाने आज भी वो बच्चों को गांव लाता है

Farmers Shayari in hindi

अब कहाँ वो मुलाकात करते हैं
किसानों से अब कहाँ वो मुलाकात करते हैं,
बस ऱोज नये ख्वाबों की बात करते हैं

खींच लाता है गांव में बड़े बूढ़ों का आशीर्वाद,
लस्सी, गुड़ के साथ बाजरे की रोटी का स्वाद

वो जो पिछले साल सब खेतों को सोना दे गया
अब के वो तूफ़ान किस किस का मकाँ ले जाएगा

किसान पर शायरी

आप आएं तो कभी गांव की चौपालों में
मैं रहूं या न रहूं, भूख मेजबां होगी
-अदम गोंडवी

यूं खुद की लाश अपने कांधे पर उठाये हैं
ऐ शहर के वाशिंदों ! हम गाँव से आये हैं
-अदम गोंडवी

शहरों में कहां मिलता है…
शहरों में कहां मिलता है वो सुकून जो गांव में था,
जो मां की गोदी और नीम पीपल की छांव में था
-डॉ सुलक्षणा अहलावत

आप आएं तो कभी गाँव…
आप आएं तो कभी गाँव की चौपालों में
मैं रहूँ या न रहूँ, भूख मेजबां होगी
-अदम गोंडवी

चीनी नहीं है घर में, लो, मेहमान आ गये
मंहगाई की भट्ठी पे शराफत उबाल दो
-अदम गोंडवी

Farmers Shayari

घर के ठंडे चूल्हे पर खाली पतीली है
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है
-अदम गोंडवी

मेरे खेत की मिट्टी से पलता है
मेरे ख़तों को जलाने से कुछ नहीं होगा
हवा में राख उड़ाने से कुछ नहीं होगा

गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा
एक ही रंग है दुनिया को जिधर से देख

मेरे खेत की मिट्टी से पलता है तेरे शहर का पेट
मेरा नादान गांव अब भी उलझा है किश्तों में