बशीर बद्र की शायरी | bashir badr shayari
bashir badr poetry उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाएज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मींपाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीयूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता न जी भर के देखा न कुछ बात कीबड़ी आरज़ू … Read more