शराब शायरी | sharaab ki shayari

sharaab shayari

शराब बंद हो साक़ी के बस की बात नहीं
तमाम शहर है दो चार दस की बात नहीं
असद मुल्तानी

पी कर दो घूँट देख ज़ाहिद
क्या तुझ से कहूँ शराब क्या है
हफ़ीज़ जौनपुरी

मैकदे में किसने कितनी पी ख़ुदा जाने मगर,
मैकदा तो मेरी बस्ती के कई घर पी गया..!”
(मेराज फ़ैज़ाबादी)

shayari on sharab in hindi

अच्छी पी ली ख़राब पी ली
जैसी पाई शराब पी ली
रियाज़ ख़ैराबादी

सब को मारा ‘जिगर’ के शेरों ने
और ‘जिगर’ को शराब ने मारा
जिगर मुरादाबादी

बेख़ुदी में रेत के कितने समंदर पी गया,
प्यास भी क्या शय है, मैं घबराके पत्थर पी गया…
मैकदे में किसने कितनी पी ख़ुदा जाने मगर,
मैकदा तो मेरी बस्ती के कई घर पी गया..

ज़बान-ए-होश से ये कुफ़्र सरज़द हो नहीं सकता
मैं कैसे बिन पिए ले लूँ ख़ुदा का नाम ऐ साक़ी
अब्दुल हमीद अदम

sharab shayari in hindi font

जाम ले कर मुझ से वो कहता है अपने मुँह को फेर
रू-ब-रू यूँ तेरे मय पीने से शरमाते हैं हम
ग़मगीन देहलवी

खुली फ़ज़ा में अगर लड़खड़ा के चल न सकें
तो ज़हर पीना है बेहतर शराब पीने से
शहज़ाद अहमद

shayari on sharab in urdu

पीर-ए-मुग़ाँ के पास वो दारू है जिस से ‘ज़ौक़’
नामर्द मर्द मर्द-ए-जवाँ-मर्द हो गया
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

best shayari on sharab

शुक्रिया ऐ गर्दिश-ए-जाम-ए-शराब
मैं भरी महफ़िल में तन्हा हो गया
सलाम मछली शहरी

urdu shayari on sharab

आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
फ़िराक़ गोरखपुरी

बे पिए ही शराब से नफ़रत
ये जहालत नहीं तो फिर क्या है
साहिर लुधियानवी

sharab sher o shayari in hindi

ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूँ
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
इस के ब’अद आए जो अज़ाब आए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई
निदा फ़ाज़ली

shayari sharab ki

शब जो हम से हुआ मुआफ़ करो
नहीं पी थी बहक गए होंगे
जौन एलिय

फ़रेब-ए-साक़ी-ए-महफ़िल न पूछिए ‘मजरूह’
शराब एक है बदले हुए हैं पैमाने
मजरूह सुल्तानपुरी

ghalib sher on sharab

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
अहमद फ़राज़

पीता हूँ जितनी उतनी ही बढ़ती है तिश्नगी
साक़ी ने जैसे प्यास मिला दी शराब में

funny shayari on sharab

sharab ki shayari hindi

लुत्फ़-ए-मय तुझ से क्या कहूँ ज़ाहिद
हाए कम-बख़्त तू ने पी ही नहीं
दाग़ देहलवी

ऐ ‘ज़ौक़’ देख दुख़्तर-ए-रज़ को न मुँह लगा
छुटती नहीं है मुँह से ये काफ़र लगी हुई
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

नतीजा बेवजह महफिल से उठवाने का क्या होगा,
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है -मुनव्वर राना

sharab aur dosti shayari

इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़
यानी ये होश की दीवार गिरा दी जाए -फ़रहत शहज़ाद

पीता हूँ जितनी उतनी ही बढ़ती है तिश्नगी
साक़ी ने जैसे प्यास मिला दी शराब में

शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए
ये मुस्कुराती हुई चीज़ मुस्कुरा के पिला

अब्दुल हमीद अदम

sharab pe shayari in hindi

sharab peene ki shayari

ghalib sher on sharab

‘ग़ालिब’ छुटी शराब पर अब भी कभी कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र ओ शब-ए-माहताब में
मिर्ज़ा ग़ालिब

वाइज़ न तुम पियो न किसी को पिला सको
क्या बात है तुम्हारी शराब-ए-तुहूर की
मिर्ज़ा ग़ालिब

sharab aur pyar shayari

हर-चंद हो मुशाहिदा-ए-हक़ की गुफ़्तुगू
बनती नहीं है बादा-ओ-साग़र कहे बग़ैर
मिर्ज़ा ग़ालिब

पी जिस क़दर मिले शब-ए-महताब में शराब
इस बलग़मी-मिज़ाज को गर्मी ही रास है
मिर्ज़ा ग़ालिब

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